Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कहानी - श्रापित आत्माएं - डरावनी कहानियाँ

श्रापित आत्माएं - डरावनी कहानियाँ

 भूत-प्रेत के इंसानी दुनिया का हिस्सा बनने जैसी बातें हमेशा से ही विवादास्पद रही हैं. कुछ लोग जहां ऐसी घटनाओं को सिर्फ और सिर्फ मस्तिष्क का वहम मानते हैं वहीं कुछ लोग इन्हें पारलौकिक घटनाएं कहते हैं, जिन्हें अकसर इंसानों द्वारा महसूस किया जाता रहा है.  

 इसी संबंध में पैरानॉर्मल एक्टिविटी का हर सच सामने लाने के लिए संस्थाओं का गठन होता है जो विभिन्न सर्वेक्षणों और शोधों द्वारा यह साबित करती हैं कि वाकई भूत-प्रेत इस दुनिया में हैं या नहीं, अगर हैं तो फिर वो कहां और कैसे इंसानों को प्रभावित कर सकते हैं.  

 जैसलमेर स्थित कुलधरा के विषय में अकसर यह सुना जाता था कि वहां भूतों का वास है या वहां भूतों का होना महसूस किया जाता है. लेकिन कोई भी इसके पीछे की सच्चाई से वाकिफ नहीं था इसीलिए दिल्ली की पैरानॉर्मल सोसायटी के कुछ सदस्य रात को वहां जांच-पड़ताल करने के लिए गए और जो सच उन्होंने दुनिया के सामने रखा वह दिल दहला देने वाला था.  

 भूत-प्रेत से जुड़ी अपनी सभी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए सोसायटी के सदस्य वहां रुके और बहुत से सदस्यों ने किसी के होने और बार-बार उन्हें छूने का प्रयास करने जैसी हरकतें महसूस की. टीम के एक सदस्य का कहना था कि उन्होंने बार-बार यह महसूस किया कि कोई उनके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था.  

 लेजर तकनीक का प्रयोग करने के कारण पैरानॉर्मल सोसायटी के सदस्यों ने यह भी महसूस किया कि कोई परछाई उनके साथ-साथ चल रही है. स्थानीय लोगों का मानना है कि कुलधरा में रात बिताना आसान नहीं है क्योंकि वहां आत्माओं का वास है. पारलौकिक ताकतों पर शोध करने वाली यह सोसायटी अपने साथ कुछ इलैक्ट्रॉनिक उपकरण भी लेकर गई थी जिसकी सहायता से उन्होंने असमान्य स्थितियों का सामना किया.  

 कहीं उन्हें परछाई नजर आई तो कहीं छोटे बच्चों के चिल्लाने की आवाजें. इतना ही नहीं टीम के सदस्यों ने गाड़ी के शीशों पर बच्चों के हाथ के निशान भी देखे. पैरानॉर्मल सोसायटी के सदस्य के अनुसार उनके पास एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से वे आत्माओं के साथ संपर्क साध सकते हैं और इसी यंत्र की सहायता से उन्होंने आत्माओं से कुछ सवाल पूछे. उन्हें इस यंत्र की सहायता से वो आवाजें भी सुनाई दीं जो आम इंसान नहीं सुन सकता और साथ ही उन्हें आसपास मंडराने वाली आत्माओं ने अपने नाम भी बताए.  

 पैरानॉर्मल सोसायटी के अनुसार वह ऐसी श्रापित कही जाने वाली जगहों पर घूमती है और लोगों के अंधविश्वास को दूर करती है लेकिन हैरानी की बात यह है कि कई बार यह सिर्फ अंधविश्वास ही नहीं रह जाता. हालांकि कई बार लोग आत्मविश्वास में कमी आ जाने के कारण भी हर घटना को पारलौकिक घटना के तौर पर देखने लगते हैं लेकिन भूत-प्रेत भी इंसानी दुनिया का एक काला हिस्सा हैं इससे भी पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता

   0
0 Comments